सदाबहार अभिनेत्री मुमताज
सदाबहार अभिनेत्री मुमताज
मुमताज का अर्थ विशेष, गणमान्य होता है। अत्यंत सुंदरता की धनी, अपने आंखो से भावनाएं और अदाकारी बिखरने वाली मशहूर अभिनेत्री मुमताज उनके नाम जैसी ही विशेष गणमान्य थी। हिन्दी सिनेमा की ऑरेंज गर्ल नामसे जानेजानी वाली "मुमताज" हिंदी सिनेमा का ऐसा नाम है जिसने साठ और सत्तर के दशक में लाखो लोगो को दीवाना बनाया था। दो रास्ते फिल्म की वह रेशमी जुलफे और शरबती आंखे भला कौन भूल सकता है!
सदाबहार मुमताज़ का जन्म ३१ जुलाई १९४७ में मुंबई में हुआ था,उनकी मां का नाम शदी हबीब आगा अक्सारी और पिता का नाम अब्दुल सलीम अस्करी था। उनके पिता मूल ईरान निवासी थे जो बाद में मुंबई में स्थायिक हो गए थे। बचपन में भोली भाली आंखोवाली मुमताज को सबलोग मुमु नाम से पुकारते थे। किसे पता थी की यह नन्ही सी मुमु एक दिन हिंदी सिनेमा में बुलंदियों पर पहुंचेगी। मुमताज की मां फिल्मों में छोटी मोटी भूमिकाएं करती थी। लेकिन जब मुमताज एक साल की थी तब उनके माता पिता का तलाक हो गया। बहुद जल्द घर की जिम्मेदारी मुमताज के कंधे पर आ गई। घर में आर्थिक तंगी के कारण उन्हें जूनियर आर्टिस्ट के रूप में काम करना पड़ा।
मुमताज ने अपने अभिनय के सफर की शुरुवात बालकलाकार के रूप में १९५८ में आई फिल्म 'सोने की चिड़िया' से की थी। बालकलाकार के रूप में 'संस्कार', 'यास्मीन', 'सोने की चिड़िया', 'लाजवंती', 'स्त्री' इन फिल्मों में काम किया। उस समय उनकी उम्र मात्र बारह वर्ष की थी। वि शांताराम के स्त्री और सेहरा में छोटीसी भूमिका निभाई थी।
निर्देशक ओ पी रल्हन के 'गहरा दाग' फिल्म में मुमताज ने मुख्य अभिनेता राजेंद्र कुमार के बहन का किरदार निभाया। अताउल्लाह खान के 'पठान' फिल्म में उन्हें पहली बार मुख्य भूमिका निभाई लेकिन यह फिल्म अधूरी रह गई।
अभिनय के शुरुवाती दिनों में अभिनेता दारा सिंह के साथ उन्होंने सोलह एक्शन फिल्मों में बतौर अभिनेत्री काम किया। १९६३ में आई 'फौलाद' फिल्म से मुमताज को पहचान मिली। लेकिन बी ग्रेड एक्ट्रेस होने के कारण उनके साथ काम करने से कई बड़े अभिनेताओं ने नकार दिया था। लेकिन वक्त की फितरत है की वह बदलता जरूर है।
१९६९ में सुपरस्टार राजेश खन्ना के साथ आई फिल्म 'दो रास्ते' ने उन्हें कामयाबी के शिखर पर पहुंचाया। राजेश खन्ना के साथ की गई उनकी दस फिल्में सुपरहिट रही।
'दो रास्ते' फिल्म के बाद वह सबसे अधिक शुल्क लेनेवाली अभिनेत्री बन गई।
उन्होंने उनके समय के सभी बड़े कलाकार जैसे धर्मेंद्र, दिलीप कुमार, मेहमूद, देवानंद, शम्मी कपूर, फिरोज खान के साथ काम किया।
मुमताज ने देवानंद के साथ 'रामा और कृष्णा', राजेश खन्ना के साथ 'दो रास्ते', 'रोटी', 'आप की कसम', 'दुश्मन', 'बंधन', शशि कपूर के 'साथ चोर मचाए शोर', संजीव कुमार के साथ 'खिलौना', फिरोज खान के साथ 'अपराध', धर्मेंद्र के साथ 'मेरे हमदम मेरे दोस्त', 'लोफर', दिलीप कुमार के साथ 'राम और श्याम', राज कुमार के साथ 'हमराज' ऐसी तमाम यादगार फिल्में दी।
वर्ष 1963 से 1977 के बीच मुमताज को 'रोटी', 'दुश्मन', 'सच्चा झूठा' 'प्रेम कहानी', 'आप की कसम', 'बंधन' फिल्मों केलिए जाना जाता है।
उन्हे साठ के दशक की सबसे बड़ी डांसर भी माना जाता है। 'आज कल तेरे मेरे प्यार के चर्चे', 'कोई शहरी बाबू', 'बिंदिया चमकेगी', 'छुप गए सारे नजारे' ऐसे कई गाने आज भी लाखो दिलो में मिठास लिए गूंजते है।
'लोफर' फिल्म में पीठ दर्द के बावजूद भी उन्होंने 'शहरी बाबू' गाने का दृश्य चित्रित किया था। १९७४ में व्यवसायी मयूर माधवानी से शादी के बाद उन्होंने फिल्मों से ब्रेक लिया। १९९० में आई फिल्म 'आधियां' में उन्होंने फिल्मों में वापसी की लेकिन यह फिल्म असफल होने के कारण उन्होंने आगे काम नही किया। जीवन में कठिन दौर से गुजरते हुए उन्होंने संयम बरता। उम्र के पचासवें पड़ाव में उन्हें ब्रेस्ट कैंसर जैसी बीमारी से भी लड़ना पड़ा। उन्होंने २०१० में डॉक्यूमेंट्री ड्रामा '1 a minute' में काम किया। यह डॉक्यूमेंट्री कैंसर से बची महिलाओं के जीवन पर आधारित थी। इसमें मुमताज ने खुद की भूमिका निभाई थी।
सत्तर के दशक में उनकी सुंदरता और स्वभाव की चुलबुली हंसी मन मोहनेवाली थी। उन्होंने अपनी बेहतरीन अभिनय और नृत्य के कारण बहुत ही कम समय में उस समय स्थापित अभिनेत्रियों को टक्कर दी। मुमताज बेहद संवेदनशील थीं, समझने में तेज थीं और निर्देशक की दी गई हर बारीकियों को स्क्रीन पर उतार देती थीं।
उन्होंने 14 साल के छोटे से करियर के दौरान 100 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया। और एक भी फिल्म ऐसी नहीं है जिसमें उनका अभिनय बेहतरीन ना कहा जा सके।
मुमताज बालकलाकार हो या खलनायिका, चरित्र किरदार हो या मुख्य अभिनेत्री, उन्होंने हर भूमिका को बखूबी न्याय दिया।
1970 में उन्हें फिल्म 'खिलौना' के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का फिल्मफेयर अवार्ड भी प्राप्त हुआ है। 'बाल ब्रह्मचारी' फिल्म केलिए बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस का अवार्ड भी मिला है। 1996 में उन्हें लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से नवाजा गया।
मुमताज बेहद सुंदर, बहुमुखी, आकर्षक थीं और अपनी हर फिल्म में अपने मनमोहक लुक और अभिनय से हर किसी का दिल जीत लेती थीं। वह कहती है की दिल अगर साफ हो और मेहनत करने का असीम जज्बा हो तो इस दुनिया में कुछ भी नामुमकिन नही है।
"जीत लेना कहा है आसान मुकद्दर,
पर हमने जीत ली है दौलत
दर्शकों के दिलो जमाने की!"
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