Khamosh Maut| Hindi Kavita

 


खामोश मौत। 


ये सुजी हुई आंखे, बरसो का इंतजार

देखी है रेल की पटरियों से कई खिड़कियां

रेल रुकती थी थाने के सामने गरजकर

रोशनी भरती थी आंखे,

लगता था तुमने दी है आवाज हमे तड़पकर।


चाय के नाम जाप के कलकलिहारो में 

ढूंढा तुझे सफर के किताब समोसे दुकानदारों में

तलाशता था अखबार! की नाम तेरा आया होगा

किस सड़क के पास तूने जीवन अपना बिताया होगा।


जिस जगह से तू गई थी आज भी वही बैठता हु मै 

किसी बारिश की तड़प में प्यासे सा लेटता हु मै

आईना लगा है कमजोर आंखों को

जैसे तेरी आहट की महसूस में अंधेसा देखता हूं मै 


राह देख किसी दिन

दिखेगी मेरी लाश इन पटरियों पर

बिखर जायेंगे खून के बीज इधर उधर

और उग आयेंगे उनमें से लाल फूल 


कभी गुजरना रेलसे इन हादसों पर से

तेरे एहसास सुनेंगी मेरी रूह, और

खींच देगी चैन अपने आपसे, फिर

थम जाएगा यह वक्त, ये चांद, ये दिन…


फिर देखना उतरके, जरा गौर से फूलों को

जैसे किताबो में छुपाती थी तुम मेरा गुलाब 

उनमें भी खुशबू वही पुरानी होगी

जिस रक्त बीज से निपजा होगा यह फूल

उनमें रूह तुम्हारी दीवानी होगी।


तुम कही भी हो इस वक्त 

इक बात याद रखना मेरे जालिम ए खुशनुमा 

मेरी जिंदगी जरूर खामोश हुई होगी

पर मेरी मौत कभी खामोश नही होगी।


Harish 

Comments

Popular posts from this blog

They won with simple formula

MS Dhoni: Once in Generation | English

The Godfather actor turns 80 yesterday: