आजाद हिंद सेना | हिंदी

आजाद हिन्द सेना


पूरे स्कूल, महाविद्यालय पताको से महक रहे थे। सड़कों पर रंगोलियां मुस्कुरा रही थी। छोटे बच्चो से लेकर बड़ों तक अपना अपना गणवेश पहने सुबह सुबह शान से चल रहे थे। कहीं गाना सुनाई दे रहा था "ये देश जवानोका अलबेलोका मस्तानोका .. "

आज पूरे कानपुर में एक ही गूंज थी "भारत माता की जय" ! टीवी पर देशभक्ति के फिल्में छा रही थी। देश तमाम महान क्रांतिकारो, नेतावो,शहीदों को याद कर रहा था।

देश आजादी का सुवर्ण महोत्सव मना रहा था।

तिरासी साल की लक्ष्मी इतनी उम्र होने के बावजूद एक स्कूल कार्यक्रम में जाके आ गई। 

रात का समय था।लक्ष्मी खुर्ची पर बैठे बादलों की तरफ देख रही थी।न जाने किसे याद कर रही थी।उसके पति प्रेम को तारो तक जाकर पाच साल होने को आए थे। उसकी बूढ़ी आंखें अभी भी बिजली को तरह चमक रही थी।न जाने कितनी कहानियां उसकी बोलती आंखों में पनप रही थी।

अचानक रेडियो पर "कदम कदम बढ़ाए जा" गीत शुरू हुआ और लक्ष्मी के आंखोसे बूंदे टपकने लगी।उसने उसका चस्मा उतारा और गहरी सांस ली और बोली "जय हिन्द"।

रेडियो की आवाज और बढ़ाई और खुद गुनगुनाने लगी "ये जिंदगी है कोम की ,तू कोम पे लुटाए जा"।

लक्ष्मी के सामने एक इतिहास की किताब थी। शायद गलती से किसी लड़की की रह गई हो।किताब का नाम था "आधुनिक भारत का इतिहास" कक्षा आठवीं।मुखपृष्ठ पर गांधीजी की दांडियात्रा की तस्वीर और उसके ऊपर १८५७ के स्वातंत्र्य समर का एक दृश्य।

लक्ष्मी ने किताब खोली और वो पन्ने पलटने लगी। उसने पढ़ा १८५७ का स्वातंत्र्य समर,राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना,नरम दल,गरम दल,बंगाल का विभाजन,होमरूल, जलियांवाला बाग,

गांधी युग,क्रांतिकारी आंदोलन,सभी गोलमेज सम्मेलन। लेकिन। वो किसी महान हस्ती को ढूंढ रही थी। उसकी नज़रों में उस महापुरुष को देखने की,उसे पढ़ने की तीव्र इच्छा झलक रही थी।

आखिर वो पन्ना आया।उस महापुरुष का नाम था आजाद हिन्द फौज के पंतप्रधान "नेताजी सुभाष चन्द्र बोस"।

लक्ष्मी फुली न समाई,"हमारे नेताजी,हमारे नेताजी...!" उसकी कांपती, आदर युक्त आवाज मै हर्षोल्लास,उत्सुकता थी,

कुछ यादें थी,बहुत सारी खुशियां,कुछ गम थे,कुछ काल की चोटे।

किताब में सुभाष बाबू के नीचेही लक्ष्मी की खुद की तस्वीर थी। उसपर नाम था "कैप्टन लक्ष्मी स्वामीनाथन"!!

आठवीं के किताब में नेताजी के कार्य पर केवल एक पन्ना लिखा गया था।आजाद हिन्द फौज पर भी एक ही पन्ना था।वो देखकर लक्ष्मी खुद के आंसू रोक ना पाई।उसने

कमरे में दीवार पर टंगी आजाद हिंद फौज की तस्वीर देखी।वो खादी वाला गणवेश,सर पर मुकुट जैसी सलामी दे रही शानदार टोपी,चौड़ी छाती,चिते जैसी करारी नजर, रगो में सिर्फ एक ही सपना आज़ाद भारत,मातृभूमि की गुलामी की जंजीरों से मुक्तत्ता। भारत मां के लाडले सुपुत्र,महानायक,चलो दिल्ली का नारा लगाते नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की छबी देख लक्ष्मी ने "जय हिन्द नेताजी" कहके मानवंदना दी।

टोकियो से सिंगापुर हवाई अड्डे पर स्वागत के लिए गए थी मै। पहली बार देखा था उस महापुरुष को। चाल में स्फूर्ति और इतने महान उच्च कोटिके ध्येय होने के बावजूद वो साधारणता।

मेरे साथ मोहनसिंह,मेजर शाहनवाज भी थे।

                                         

सिंगापुर का वो पड़ांग मैदान। हजारों लोगों की भीड़। "महात्मा गांधीजी की जय,सुभाषचंद्र बोस की जय"

नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के सम्मान के खातिर हुई वो परेड मै कैसी भूल सकती हूं। "दाए मूड,बाए मूड, तेज चल"

चांद की तरह सफ़ेद वर्ण और गंगोत्री से बहेती गंगा की तरह पवित्र और साफ मन! आंखों में पूरा विश्व समा लेने की ताकत ,अटूट विश्वास वाले उस शख्स का भारी आवाज आखिरकार सुनाई दिया !

"मेरे प्यारे बहनों और भाईयो,यही सही समय है अपने मातृभूमि केलिए कुछ कर गुजरने का,हमे हमारी भारत मां ने यह मौका दिया है की हम इस मिट्टी का कर्ज उतार सके।हमे इन ब्रिटिश हुकूमत को जड़ से उखाड़ फेंकना है।हमारा त्याग,बलिदान आनेवाले नस्लों केलिए बहुत बड़ा सबक होगा स्वाभिमान से जीने केलिए। "तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा"...चलो दिल्ली।"

मैंने एक नजर भीड़ की तरफ उठाई।सभी के आंखो में आंसू,रासबिहारी बोस रुमाल से आंखे पोंछते रह गए।पूरा आसमान देशभक्ति से गूंज उठा।पहली बार किसीने हमे भारतीय होने का एहसास दिलाया था।

शाम को मेयर बंगले पर नेताजी की हिंदी स्वातंत्र्य संघ की महिला प्रमुख चिदंबरम,केशव मेनन के साथ एक मीटिंग चल रही थी। आजाद हिन्द फौज में महिला रेजिमेंट बनाने पर।नेताजी के फैसले पर कड़ा विरोध हुआ लेकिन नेताजी अटल थे।उस दिन उन्होंने मीटिंग में रानी लक्ष्मीबाई,रज़िया सुल्तान,अहिल्यादेवी के स्त्री शक्ति के महान उदाहरण पेश किए।मीटिंग के बाद मेरी और नेताजी की मुलाकात हुई और आगाज हुआ रानी लक्ष्मीबाई रेजिमेंट का!!

मुझे आज भी याद है उन्होंने कहा "चार महिलाओं से चार हजार तक महिलाओ की फौज तुम्हे खड़ी करनी है,करोगी यह कार्य?

मै उस वक्त मन मै खुशी से झूम रही थी कि स्त्री होने के बावजूद अलग कुछ करने को मिल रहा था।

अपने मातृभूमि की काली छाया हटाने केलिए भूख,नींद भुलाकर खून,पसीना बहाने केलिए नेताजी सभी को अपना योगदान मांग रहे थे,आजाद हिन्द फौज केलिए प्रेरित कर रहे थे। उनके आवाज,व्यक्तित्व विलक्षण जादू था। बात करते करते सामनेवाला इंसान उनके विचारों से प्रभावित होकर उनका हो जाता था।सुभाष का सपना वहीं हर हिन्दुस्तानी का सपना "लाल किले पर तिरंगा लहराना"

तभी जानकी नाम की एक लड़की रानी लक्ष्मीबाई रेजिमेंट में भर्ती होने केलिए रो पड़ी। बहुत सी लड़कियां जो बंदूक उठाना नहीं जानती थी ,देश केलिए मर मिटने केलिए आजाद हिन्द फौज में शामिल हो गई।

सिंगापुर में नेताजी लोगो से योगदान मांगते समय ,एक औरत ने उसकी दोनो बेटियों को फौज में भर्ती कराया।अनेक महिलावो ने अपने गहने,जेवर सभी आजाद हिन्द फौज केलिए जमा कराए। एक बूढ़ी अम्मा ने अपना मंगलसूत्र निकालकर नेताजी को दिया और कहा "वतन की आजादी यही मेरा सुहाग और मांग है"

एक छोटे लड़के ने अपनी पाच रुपए की फटी हुईं नोट भी दे डाली।एक अंधा लड़का अपने राष्ट्र पर मर मिटने केलिए सेना में भर्ती हुआ।क्या थी वो स्फूर्ति ,वो जज्बा ,वो राष्ट्रवाद!!

हमारी फौज में जात ,धर्म केलिए कोई स्थान नहीं था।सभी लोग सिर्फ एक मकसद केलिए एकजुट हुए थे, दो सौ साल की बेडिया तोड़ना!

नेताजी की दूर दृष्टि और सोच बहुत आगे की थी। आखिर उन्होंने देश की पहली महिला बटालियन का निर्माण किया। आजाद हिन्द फौज की खुद की बैंक खड़ी करी। स्वयं मुद्रा का निर्माण कराया,गुप्तचर तंत्र विकसित किया,

खुद की डाक टिकट शुरू किया।

नौ देशों की मान्यता प्राप्त प्रथम अस्थायी सरकार बनाई जिसके पहले पंतप्रधान थे "नेताजी सुभाष चंद्र बोस"!

कहते है ध्येय अगर सच्चा और मानवता के हित में हो तो आपके लक्ष्य को कोई रोक नहीं सकता। महाभारत में सेतु बनाते वक्त जैसे गिल्लारी योने योगदान दिया था।वैसे हीं आजाद हिन्द फौज के सेतु में अंग्रेज नाम के धूर्त रावण को मारने केलिए साठ हजार से ज्यादा सैनिक सेना में जमा हो गए।उनमें पंधरा सौ से अधिक महिलाएं थी।जो कड़ी बारिश और धूप में प्रशिक्षित हो रही थी।जुनून जज्बे से चिल्ला रही "भारत माता की जय"

आज़ाद हिन्द फौज में दस रेजिमेंट थी।जिनमें गांधी रेजिमेंट,नेहरू बिग्रेड,रानी लक्ष्मीबाई रेजिमेंट थी।

नेताजी के आदेश पर सभी रेजिमेंट बर्मा,इम्फाल, ब्रम्हदेश, कोहिमा,इरवती नदी के पात्र के पार, घने जंगलों में ब्रिटिश हुकूमत की नाक रगड़ने केलिए रवाना हुए। उन्हें दिखाई देती थी सिर्फ हिन्दुस्थान की सरहद।

 सर पर सुभाष चंद्र बोस की तस्वीर लिए,पीठ पर बड़िसी बैग, बंदूक लिए एक ही गूंज सुनाई दे रही थी "आजाद हिन्दुस्थान,सुभाष चंद्र बोस की जय"

कप्तान राम सिंह के

"कदम कदम बढ़ाए जा" इस ताल गीत पर सेना चल रही थी। जापानी ट्रके दौड़ रही थी। 

ईस्ट एशिया कमांडर माउंटबेटन ने ब्रिटिश फौजों को नेताजी जिंदा या मुर्दा पकड़ने आदेश दिए थे।

जापानी फौजों ने अंदमान निकोबार द्वीप आजाद हिन्द फौज के हवाले कर दिए।

सालविन, चिंदाविन,इरावती के डरावने पात्र में बह जाने का खतरा था।

रात का समय था हवाएं तेज चल रही थी। इंफाल मुहिम पर घायल हुए सैनिकों को देखने नेताजी ,मेजर महबूब के साथ कालेबा के अस्पताल एम पहुंचे।मेरे साथ वकील यल्लप्पा भी थे। कितने सैनिकों के हात या पैर कटे थे।कुछ घायलों के पैर से खराब खून बह रहा था।उसपर मखिया बैठ रही थी।डॉक्टर होने के नाते मेरा कर्तव्य था उनकी सेवा करना इसीलिए मै वहीं रुकी,नेताजी वहां से आगे के मुहिम केलिए निकल गए।इस अस्पताल को उभारने केलिए गांधी रेजिमेंट के डॉक्टर अकबर अली ने घास पत्थर एक किया था। इम्फाल के रास्ते में हजार से ज्यादा हुतात्मा पड़े हुए थे।उसी में डॉक्टर अकबर अली की लाश भी थी।

अस्पताल में मै , यल्लपा और बैनर्जी थे। कुछ देर बाद ब्रिटिश बॉम्बर हमारे ऊपर आग के गोले बरसाने लगे।

एक बॉम्ब यलप्पा के पैर पे जा गिरा जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गए।

हमने उस जगह से दूर जाने केलिए तुरंत कुछ बैलगाड़ी और जापानी ट्रक की मदत से वह जगह छोडी। यलप्पा का पैर हिल नहीं रहा था।उससे बहुत ज्यादा गंदा पानी बह रहा था।मैने उसपर पट्टी बांध रखी थी।

आगे के रास्ते में बहुत से धोके थे।ब्रिटिश फौज की टुकड़ियां जंगल में घूम रही थी। हवाई यात्रा से बम बारी हो रही थी।इसीलिए हम पैदल ही का जंगल की तरफ बढ़े। एक जगह पर सुरक्षित रुके याल्लपा एक बॉम्ब का शिकार हुए ।

मोइरांग की भूमि पर मेजर शौकत मलिक ब्रिटिश फौजों पर टूट पड़े थे। उन्होंने बाद ने इंफाल पर जीत दर्ज करके हिन्दुस्तानी सरजमीं पर सर्वप्रथम तिरंगा लहराया।

ब्रम्हदेश की धुवाधार वर्षा हो रही थी।सारे कच्चे रास्ते कीचड़ से भर गए।युद्ध की वजह से साल भर से खेतों में कुछ नहीं था।आजाद हिन्द फौज के खाली पेट बम बारूद का सामना कर रहे थे।

बंदूक बम हत्यार सब ख़तम हो चुके थे। इरावती की बाढ की वजह से वायर लेस कनेक्शन बंद हो चुका था।गाडियां फस चुकी थी। ब्रिटिश सेना के पास सब कुछ था नई तजेली टुकड़ी,अमेरिका से आयी हुई हवाई मदत।

कैप्टन बागरी ने पेट्रोल के बोतले पेट को बांध के रनगाड़े के नीचे अपनी शहादत दे दी। इतनी विपरीत स्थिति में भी हमारी फौज को सिर्फ लालकिले कर फड़कता तिरंगा दिख रहा था।

बारिश की वजह से मच्छर बहुत बढ़ चुके थे।मलेरिया बढ़ चुका था।पेट की भुक सातवे चरम पर थी। जापान के सैनिकों ने गाय,खच्चर काट कर खाना शुरू किया। हिंदी सैनिकों ने द्वीप से हरा घास लाकर खाया। दस्ट और उलटी के मारे सारे सैनिक मरने लगे।

इस युद्ध में हमारे २६००० से ज्यादा सैनिक मातृभूमि केलिए अमर बलिदान दे गए।


अमरीका ने जापान पर अणु बॉम्ब फेककर क्रूरता की सारे हदे पार कर दी। जर्मनी भी द्वितीय विश्व युद्ध हार गया।और सभी हमारी सभी आशाएं समाप्त हो गई।

हमारे सैनिकों के कोई अंत्य संस्कार नहीं हो सके। लाशें वहीं पड़ी रही और सड़ गई। मरते वक्त वो यही बोलती गई होंगी "लालकिले पर तिरंगा,जय हिन्द,आजाद भारत"

ऊपर से बॉम्बर गिर रहे थे।बर्मा,रंगून सब उधेड़ चुका था।

नेताजी सभी लड़कियों को सही सलामत घर पहुंचाने में लगे। नेताजी ने हमे आखरी बार कहा " जैसे ही हालात सुधार जाएंगे, हम फिर मिलेंगे,तैयार रहना ।आजाद भारत के बच्चे गुलाम बनकर पैदा नहीं होंगे। हमारे जाबाज सैनिकों का यह त्याग,अतिउच्च बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा।जय हिन्द।

वहीं आखरी मौका था जब मैंने महान नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को आखरी बार देखा था।


रात के ग्यारह बज चुके थे।लक्ष्मी ने सूटकेस में रखा अपना एल्बम निकाला।जिनमें प्रेम सहगल (पति) के साथ कुछ तस्वीरें थी।और एक तस्वीर थी शाहनवाज धिल्लोन और प्रेम सहगल की। एक बार कर्नल प्रेम ने उसे इस तस्वीर के पीछे की पूरी कहानी सुनाई थी।

जब आजाद हिंद फौज ने अपनी हार मानली।तब हजारों कैदी सैनिकों को ब्रिटिश ने जेल में डाल दिया।

आजाद हिन्द फौज के मुख्य अफसर शाहनवाज धिल्लोंन प्रेम पर अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ बगावत करने के इल्जाम में लाल किले पर ट्रायल किए गए।

अंग्रेजो ने यह अभियोग मुकदमा भारतीयों को डराने और आजाद हिन्द फौज को गद्दार ठहराने केलिए किया था। उनकी यह चाल उनपर ही भारी पड़ी।

इस मुकदमे से यह पता चला की देश की सरहद पार एक जंग लड़ी जा चुकी है। आजाद हिन्द फौज के जवानों के कारण देश भर में देशभक्ति की लहर उमड़ पड़ी। लोगो ने इन तीनों के लंबी उम्र की दुवाए की गई। देश के जाने माने वकील "भूलाभाई देसाई" जिनके कार्य को आज देश भूल चुका है उन्होंने शानदार दलीलों से इस मुकदमे को आजाद हिन्द फौज के हक में कर लिया।

इस ट्रायल ने पूरी दुनिया में अपनी आजादी केलिए लड़ रहे लोगो के अधिकारो को जागृत किया।नौसेना वायुसेना में विद्रोह हुआ।और अंग्रेज़ सत्ता की नींव हिल गई।

अरे कोन कहता है आजाद हिन्द फौज हारी।इतिहास के कुछ सुनहरे पन्ने है जिन्हे कभी छापा ही नहीं गया।उस कोरे पन्ने पर चिंदविन इरावती के आंसू है। वो आंसू कभी पोछे ही नहीं गए। न जाने कितनी लड़कियों ने चूड़ियां उतारकर आजादी के सूरज केलिए बंदूक उठाई। हजारो लाशे उस ब्रहमदेश की बारिश के कीचड़ में पड़ी रही।

इतिहास ने हमारे हुतात्मावो,सैनिकों के साथ कभी न्याय नहीं किया। आजादी के बाद आजाद हिन्द फौज के जवानों के देश की सेवा में भी नहीं लिया गया।उन्हें पच्चीस साल तक पेंशन नहीं दी गई।

लक्ष्मी जी भारी आंखो से नेताजी के तस्वीर के सामने आयी। और भावुक स्वर में बोली 

"पचास साल पूर्व लालकिले पर इसी दिन तिरंगा लहराया गया,दुःख था कि आप वहां नहीं थे।

नेताजी आपका एक सपना अधूरा रह गया "अखंड भारत"।हमारी भारत मां आखिर टुकड़े में बट गई।आप चाहते थे एक ऐसा हिंदुस्तान जो धर्म जात से दूर हो। जहां राष्ट्रीय एकता हो। गरीबी दूर हो, आपने हरिपुरा कांग्रेस मै भाषण में देश की बढ़ती आबादी पर कानून और रोजगार पर जो बात कही थी वो बिल्कुल सही निकली है।

रेडियो पर वन्दे मातरम की आवाज सुनाई देती है..."सुजलाम सुफलाम

मलयज शीतला...!!"

लक्ष्मी आगे बोलती है,

"नेताजी कैसे कह दू अपनी भारत मां सुजलाम सुफलाम हुई है। आठ दिन पहले एक लड़की पर जबरन बलात्कार किया गया,एक बार नहीं उसके ऊपर दो बार बलात्कार किया गया।उस लड़की ने समाज के डर से कुएं में अपनी जान दे दी।आपने तो हमारे लिए रानी लक्ष्मी बाई रेजिमेंट निकाली थी। इन लड़कियों को वह आत्मबल ,प्रेरणा कोन देगा? आजादी का पंछी उड़कर आसमान छू रहा है लेकिन आज भी गरीबी वैसी की वैसी है, सांप्रदायिकता के नाम पर अलग अलग झंडे रास्ते पर देखती हूं तो दुःख होता है।हम सभी तो एक ही झंडे केलिए लड़े थे "तिरंगा"!

नेताजी आपको याद है,मै,प्रेम जी और आप बर्मा कैंप पर थे। एक रात आपने मुझे बोला था कि "प्रेम और तुम एक दूसरे से प्यार करती हो,मै जानता हूं।आजादी के बाद साथ रहना।घर बसाना।वो भी बहुत जरूरी है।"

और आपने यह भी कहा था कि "मेरी एक पत्नी भी है "एमिली" जिसका मै कहीं जिक्र नहीं करता।मेरी एक छोटी बच्ची भी है "अनीता"!!वो अभी जर्मनी में है।"

नेताजी आपने आखरी मुलाकात में एमिली से कहा था "मै जिंदा रहूंगा तो तुम्हे भारत लेकर जाऊंगा।लेकिन अगर मै मर गया तो कभी भारत मत आना क्यूं कि भारत के लोग विधवाओके प्रति बहुत बुरी भावना रखते है।उन्हें लगेगा की तुम प्रॉपर्टी जमीन जायदाद केलिए आई हो।"

नेताजी आप की पत्नी एमिली एक साल पहले गुजर गई।उसने कभी दूसरी शादी भी नहीं की।वो कभी भारत नहीं आई। नाही उसने आपके परिवार से कभी पैसे लिए।क्या इतना महान प्रेम भी होता है!! इतना अटूट प्रेम करना आप दोनों से सीखे।आपने जिस एक महीने की बच्ची को आखरी बार देखा था वो अनीता आज बड़ी अर्थतज्ञ है।

आपका एक सपना था देश के युवाओं के प्रति की वो ऐसा भारत खड़ा करे जो "विश्व को संदेश सके जो प्राचीन काल से उसकी विरासत रहा है।

लक्ष्मी के ओठों पर अपने आप एक गीत आयाशुभ सुख चैन की बरखा बरसे , भारत भाग है जागा....

तेरे नित गुण गाएँ, तुझसे जीवन पाएँ

हर तन पाए आशा

सब भेद और फ़र्क मिटा के, सब गोद में तेरी आके,

गूँथें प्रेम की माला।

सूरज बन कर जग पर चमके, भारत नाम सुभागा,

जए हो! जए हो! जए हो! जए जए जए जए हो!

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